सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता
"सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता का संकल्प हम दोहराएंगे।
कुछ इस तरह हम सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाएंगे॥'
प्राचीन काल से सोने की चिड़िया कहा जाने वाला हमारा देश भारत लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजी हुकूमत की बेडियों में जकड़ा रहा, जिसके फलस्वरूप कई भयावह समस्याएं दानव रूप लेकर हमारे समक्ष आकर खड़ी हो गईं। अशिक्षा, बेरोजगारी, अज्ञानता, गरीबी, महंगाई जैसी कई समस्याओं पर हमें विजय हासिल करनी थी। इन समस्त दिक्कतों से उबरने का कोई आसान व सीधा रास्ता अपनाने की बजाय हमने चुना सत्य,ईमानदारी,अहिंसा और आत्मनिर्भरता का मार्ग। इन्हीं उच्चतम आदर्शों पर चलते हुए भारत ने महात्मा गांधी की उंगली पकड़कर आजादी का जश्न मनाया। यह रास्ता इतना सरल भी न था परंतु फिर भी हमारे देश भारत ने अपना रास्ता न बदला और सत्य निष्ठा के पद पर आगे बढ़ता चला गया।
"आजाद 75 सालों का जश्न हम मनाएंगे
सत्यनिष्ठा से देश को आत्मनिर्भर भारत बनाएंगे॥"
स्वतंत्रता प्राप्ति के लगभग 75 वर्षों के पश्चात् ही हमारे प्यारे देश भारत में संपूर्ण विश्वपटल पर अपनी एक अलग अप्रतिम पहचान बनाई है। भारत, जिसकी गणना अब तक विकासशील देशों में की जाती थी, विकसित देशों में की जाने लगी है। भारत ने विकास के विभिन्न क्षेत्रों में नए आयामीं को छुआ है।
आत्मनिर्भरता की यदि बात करें तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत आज पीछे खड़ा दिखता है। आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत में स्टार्टअप, स्टैंडअप योजना बनाई जिसमें कई सहस्त्र बेरोजगारों को रोजगार प्रदान कर उनका आत्म गौरव बढ़ाया। इस प्रकार अनेक उद्योगों द्वारा स्व निर्मित वस्तुएं पैदा कर हमने कई बड़े देशों (विकसित देशों) से कंधे से कंधा मिलाया और चीन जैसे देशों को भी यह दिखा दिया कि भारत सत्यनिष्ठा, अहिंसा और ईमानदारी से किस प्रकार आत्मनिर्भर बन सकता है।
"जब आप आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करते हैं,
तब आप आत्मनिर्भर भारत बनाने का प्रयास करते हैं।"
आज भारत कृषि के क्षेत्र में भी अपनी आत्मनिर्भरता सिद्ध कर रहा है। भारत ने कृषि जगत में हरित क्रांति लाकर अनाज की श्रेणी में खुद को आत्मनिर्भर घोषित कर दिया। आज भारत का किसान नई तकनीकि का प्रयोग करके सरप्लस अनाज उगाने में सक्षम है और इतना ही नहीं बहुत से जरूरतमंद देशों को खाद्य पदार्थ निर्यात करने में भी सक्षम है। कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बयां करते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी कहा है–
"आत्मनिर्भर भारत की एक अहम प्राथमिकता है–
आत्मनिर्भर कृषि और आत्मनिर्भर किसान।
किसान को तमाम बंधनों से मुक्त करना होगा
वह काम हम हमने कर दिया है।"
कोरोनावायरस जैसी भयंकर आपदा से निपटने के लिए भी भारत में किसी अन्य देश के आगे हाथ नहीं पसारे। स्वदेशी वैक्सीन हो, मास्क हो या पीपीई किट हो, किसी भी सामग्री के लिए देश की आत्मनिर्भरता में कोई कमी नहीं रही। अन्य राष्ट्रों को भी इस विकराल घड़ी में भारत मदद करने से पीछे नहीं हटा।
"भ्रष्टाचार भगाएंगे, लेंगे सत्य निष्ठा का संकल्प।
देश को पहनाएंगे आत्मनिर्भरता का आकल्प॥"
भारत ने स्वनिर्मित पहिए से स्वनिर्मित बैलगाड़ी और तत्पश्चात् चंद्रयान और मंगलयान तक का सफर अपने दम पर ही तय किया। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के माध्यम से गांव-गांव स्मार्ट को पहुंचाना हो या इंटरनेट, भारत ने अपनी निर्भरता का बिगुल बजाया है। डिजिटल इंडिया की बदौलत ही कोरोना काल के समय में बच्चे घर बैठे पढ़ाई कर सके। ऑफिस का काम हो या ऑनलाइन लेनदेन, खरीदारी निर्बाध रूप से जारी रह पाई। सब्जी बेचने वाले से लेकर घर में आने वाली बाई तक सभी के हाथ में स्मार्टफोन आत्मनिर्भर भारत के तहत आने वाली डिजिटल इंडिया पहल की ही देन है।
भारत ने आजादी मिलते ही सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान किया। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा और सफल लोकतांत्रिक देश है। भारत ने अपने सभी नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता का अधिकार दिया है। भारत ने पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद के क्षेत्र में भी बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है।
महात्मा गांधी ने खादी और नमक सत्याग्रह से जनता को जगाया और अपने साथ आजादी की लड़ाई में भी शामिल किया। आजादी के उन आंदोलन की प्रेरणा से ही हमारा देश विकास और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है।
लाल किले की प्राचीर से की गई घोषणाएं जमीन पर साकार हो रही हैं और आखिरी छोर तक बैठे व्यक्ति तक लाभ सुनिश्चित हो रहा है या उसे पूरा करने की कवायद चल रही है। किसी भी सभ्य समाज या राष्ट्र के विकास में उसके नेतृत्व की सत्यनिष्ठ सोच महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आत्मनिर्भर पैकेज जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से जनमानस में एक नई उम्मीद और ऊर्जा का संचार हो रहा है। असम्भव और छोटा मानकर निर्यात के भरोसे छोड दी गईं उम्मीदें अब साकार हो रही हैं और लीक से हटकर शुरू की गई पहल एक नए भारत के बदलाव की पटकथा तैयार कर रही है, ताकि 2047 में देश जब अपनी आजादी की शताब्दी वर्षगांठ मनाऐ तो इन्हीं संकल्पों की सिद्धी उसे दुनिया में शक्तिशाली देशों में शुमार कर सके।
परंतु यह संभव होगा तो केवल सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और सुशासन वअहिंसा के बल पर। नीतिपरक कार्य पद्धतियों को बढ़ावा देकर, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की संस्कृति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। सभी सरकारी कर्मचारियों हेतु उनके कार्यों के ईमानदार निष्पादन के लिए नीतिसंहिता बनाई जाने की आवश्यकता है, तभी देश आत्मनिर्भर बनने के स्वप्न को साकार कर सकता है।
अंत में एक नारे के साथ यह संकल्प पुनः दोहराएंगे–
"जन-जन का एक ही नारा,
आत्मनिर्भर बने देश हमारा।"
By Pradyumna
1 Comments
Nice content 👍
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