ईश्वर और जीव की समानता
- जैसे प्रभु ही इस सारे ब्रह्मांड का संचालक है, वैसे ही जीव भी शरीर रूप का संचालक है।
जिस प्रकार प्रभु की इच्छा अनुसार कार्य होते हैं, वैसे ही जीव की इच्छा अनुसार कार्य होते हैं।
जिस प्रकार प्रभु सारे विश्व में व्यापक है, वैसे ही जीवात्मा भी सारे शरीर रूपी विश्व में व्यापक है।
प्रभु का अधिपतित्व सारे विश्व के पदार्थों पर है, वैसे ही जीव का भी शरीर रूपी विश्व पर है
प्रभु की ही चेतना से सारे विश्व के पदार्थ चेतन व प्रकाशित होते हैं, वैसे ही जीवात्मा द्वारा होते हैं।
प्रभु नित्य पवित्र शुद्ध प्रायोगिक निराकार नित्य है, वैसे ही जीव भी है।
प्रभु कुछ खाते पीते नहीं है, वैसे ही जीवात्मा को विश्व के पदार्थों से संबंधन है।
जिस प्रकार प्रभु ने विश्व में संगठन व विधिवत् काम चलाने के लिए नाना विभाग आदि की रचना की है वैसे ही शरीर में भी नाना विभाग का निर्माण कर शरीर रूपी विश्व का निर्माण किया है।
जिस प्रकार प्रभु का एक ओ३म् नाम मुख्य है व अन्य गौण नाम है वैसे ही जीवात्मा का एक मुख्य नाम व गौण नाम हैं।
जिस प्रकार प्रभु स्वतंत्र हैं, इच्छा अनुसार कार्य करते हैं, वैसे ही जीवात्मा भी स्वयं इच्छा अनुसार कार्य करता है।
प्रभु की रचना को निर्माण व रचना कहते हैं जो आत्मा की प्रकृति को बनाना कहते हैं।
जिस प्रकार प्रभु अपने पुत्रों को अंत तक रक्षा करता वह देख बाली करता है, वैसे ही जीवात्मा भी अपने पुत्रों की अंत तक रक्षा व देखभाल करता है।
प्रभु महान् शक्तिशाली है वैसे ही जो आत्मा अमर अल्पज्ञ है, वैसे ही जाना जाता है।
प्रभु ने विश्व को प्रकाश देने के लिए दो सूर्य चांद प्रदान किए हैं, वैसे ही जीव ने अपने भी प्राकृतिक लैंप दीपक आदि बना लिए हैं।
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